Diabetes Mellitus
एक ऐसी चिकित्सा स्थिति है जिसमें शरीर सही तरीके से रक्त में ग्लूकोज को नियंत्रित नहीं कर पाता। इस वजह से रक्त शर्करा का स्तर उच्च रहता है।
Types of diabetes mellitus
1. Type 1 diabetes mellitus : इसमें शरीर इंसुलिन (एक हार्मोन जो शर्करा को नियंत्रित करता है) का उत्पादन नहीं करता। यह आमतौर पर किशोरावस्था में शुरू होता है।
2. Type 2 diabetes mellitus : इसमें शरीर इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता। यह अधिकतर वयस्कों में होता है और मोटापा, तनाव आदि से जुड़ा हो सकता है।
3. Gestational diabetes mellitus :गर्भावस्था के दौरान होने वाली शर्करा की समस्या, जो गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करती है।
Causes
- जीन और पारिवारिक इतिहास: यदि परिवार में किसी को डायबिटीज है, तो इसका खतरा बढ़ जाता है।
- मोटापा: शरीर में अत्यधिक वसा का जमा होना।
- व्यायाम की कमी: शारीरिक गतिविधियों की कमी।
- अनहेल्दी आहार: अधिक शर्करा और वसा वाला आहार।
Symptoms
- बार-बार पेशाब आना
- अत्यधिक प्यास लगना
- थकान
- अत्यधिक भूख
- धीमे-धीमे ठीक होने वाली घाव
- धुंधली दृष्टि
Diagnosis
- फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट: 8 घंटे की उपवास के बाद रक्त में शर्करा का स्तर जांचा जाता है।
- ऑरेल ग्लूकोज टोलरेंस टेस्ट: एक ग्लूकोज पेय के बाद रक्त शर्करा की निगरानी की जाती है।
- एचबीए1सी टेस्ट: पिछले 2-3 महीनों में औसत रक्त शर्करा स्तर को मापता है।
Treatment
- डायट और जीवनशैली में परिवर्तन: संतुलित आहार, नियमित व्यायाम।
- दवाएं: टाइप 1 डायबिटीज के लिए इंसुलिन, और टाइप 2 डायबिटीज के लिए एंटी-डायबेटिक दवाएं।
- ग्लूकोज मॉनिटरिंग: नियमित रूप से रक्त शर्करा की निगरानी।
Prevention
- स्वस्थ आहार अपनाएं: फल, सब्जियां, और साबुत अनाज का सेवन करें।
- नियमित व्यायाम करें: हर दिन कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि।
- वजन नियंत्रण: स्वस्थ वजन बनाए रखें।
- नियमित मेडिकल चेक-अप: समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराएं।
इन उपायों को अपनाकर डायबिटीज के जोखिम को कम किया जा सकता है और रोग का प्रभावी तरीके से प्रबंधन किया जा सकता है।